|| SAIYAM MARU MAN SAIYAM MARU DHAN LYRICS ||
संयम मारु मन संयम मारु धन जैन स्तवन
SAIYAM MARU MAN SAIYAM MARU DHAN JAIN STAVAN SONG ||
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संयम मारु मन संयम मारु धन लिरिक्स
संयम मारुं मन, संयम मारूं धन, संयम मारुं जीवन
एक अभिलाष छे, अंतरनी प्यास छे,
मळशे कयारे संयम श्रद्धानी महेक जयां, समपर्णनी लहेर जयां, समतानी साधना,
विण वितेना एक पळ, मने मळे....कयारे मळे ...
संयम. संयम मारुं मन, संयम मारूं धन, संयम मारुं जीवन ....1
अंतरनी आरझ, शुद्धिनी चाहना, संयमनी कामना, मुकितनी साधना,
अंतरनो आत्मा जागी रह्यो आज आ, संयमनो नाद जयां,
वागी रह्यो आज आ, संयम लीधा विना,
मुकित मारी थाय ना, भावना नो स्रोत आ, जोजे वही जाय ना, हैयामां छे…
समणामां छे. संयम. संयम मारूं मन, संयम मारूं धन, संयम मारुं जीवन र.....2
शाश्वत धामने, पामवानी झंखना, ते माटे याचना, सद्गुरू उपासना, रामे रोमे स्पर्शतो,
नाद सयंम तणो हैये हैये गुंजतो, घोष आज्ञा तणो परिपहो जीतवा, गुणोने पामवा कर्मोने क्षीण करवा,
एक ज आराधना, मने मळे …कयारे मळे.....
संयम. संयम मारुं मन, संयम मारूं धन, संयम मारुं जीवन ...3
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मातुश्री पवनिदेवी अमीचंदजी खाटेड़ संघवी || राजस्थान : करडा
MATUSHREE PAVANIDEVI AMICHANDJI KHATED SANGHVI
JAINAM JAYATI SHASHNAM
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