|| SHANKHESHWAR PARSHWANATH STUTI||
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SHANKHESHWARA PARSHWANATH STUTI |
SANKHESHWAR PARSHWA STUTI - JAIN STUTI
GAMBHIRTAHNEH MAPWA SAHU SAGARO OCHHA PADE
JENI DHAVALTAH
AAGADEH KSHIRSAGARO JHANKHA PADE
SHANKHESHWARA PRABHU PARSHWANE
BHAVE KARU HU VANDANA
JENA VADANNU TEJ NIRKHI SURYA AAKASHE BHAME
VADI NETRANE SHUBH PIYUSH PAAMI CHANDRA NISHAYE
JHAGE
JENI KRIPA VRUSHTI THAKI AA VADLAO VARASTAH
SHANKHESHWARA PRABHU PARSHWANE
BHAVE KARU HU VANDANA
JENA SMARANTHI BHAVIKNA ICHHIT KARYO SIDDHATAH
JENA NAAMTHI
PAN VISHADHARONA VISH AMRUT BANI JATA
JENA POOJANTHI PAAP-TAAP SHAMI JATA
SHANKHESHWARA PRABHU PARSHWANE
BHAVE KARU HU VANDANA
JYA KAAMDHENU KAAMGHATNE SURTARU PAACHA PADE
CHINTAMANI PARASMANINA TEJ JYA JHANKHA PADE
MANI MANTRA TANTRA NEH YANTRA JENA NAAMTHI FAD
AAPTAH
SHANKHESHWARA PRABHU PARSHWANE
BHAVE KARU HU VANDANA
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jena smaran thi - shankeshwar stuti lyrics |
|| SHANKHESHWAR PARSHWANATH STUTI LYRICS ||
जेना गुणों ने वर्णवा श्रुत-सागरो ओछा पडे,
गंभीरता ने मापवा सहु सागरो ओछा पडे,
जेनी धवलता आगले क्षीरसागरो झांखा पडे,
“शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्व ने, भावे करु हुं वंदना...१
जेना वदन नुं तेज निरखी, सूर्य आकाशे भमे,
वळी नेत्रना शुभ पीयूष पामी, चन्द्र निशाए झगे,
जेनी कृपा वृष्टि थकी, आ वादलाओ वरसतां,
“शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्व ने, भावे करु हुं वंदना...२
अतीत चोवीशी तणा, नवमा श्री दामोदर प्रभु,
अषाढी श्रावक पूछता, को मारा तारक विभु,
ह्या जागा प्रभु पार्श्व नी प्रतिमा भरावी पूजा,
“शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्व ने भावे करु हुं वंदना...३
सौधर्म कल्पादि विमान पूज्यता जैन रहो,
वली सूर्य चन्द्र विमान मा पूजा थइ जेनी सही,
जे नागलोक नाथ बनीने शांति सुखने अर्पित,
“शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्व ने भावे करु हुं वंदना...४
आलोकमां आ काली मां पूजा आदिकाल थी
वली नमि विनमि विद्याधरो जेने सेवे बहुमानथी,
त्यांथी धरणपति लही प्रभुने निज भवन पधरावता,
“शंखेश्वर” प्रभु पार्श्व ने भावे करु हु वंदना...५
जरासंध विद्या जरा ज्यां जादवो ने घेरती,
नेमि प्रभु उपदेशथी श्री कृष्ण अट्ठमने तपी,
पद्मावती बहुमानथी प्रभु पार्श्व प्रतिमा आपती,
“शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्व ने भावे करु हुं वंदना...६
जेना न्हवणथी जादवोनी जरा दूरे भागती,
शंखध्वनि करी स्थापता त्यां पार्श्वनी प्रतिमा खरी,
जेना प्रभाव नृपगणो ना रोग सहु दूरे थता,
“शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्व ने भावे करु हुं वंदना...७
जेना स्मरण थी भाविक ना इच्छित कार्यो सिद्धतां,
जे नामथी पण विषधरोना विष अमृत बनी जता,
जेना पूजनथी पापीओना पाप ताप शमी जता,
“शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्व ने, भावे करु हुं वंदना...८
ज्यां कामधेनु कामघटने सुरतरु पाछा पडे,
चिंतामणी पारसमणीना तेज ज्यां झांखा पडे,
मणि मंत्र तंत्र ने यंत्र जेना, नामथी फल आपता,
“शंखेश्वरा” प्रभु पार्श्व ने, भावे करू हुं वंदना...९
(ॐ हीं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः)
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SHANKHESHWARA PARSHWANATH STUTI - GAMBHIR TAH - PARSHAWANATH STUTI |
JENA SMARAN THI JIVANNA SANKAT BADHA DURE TALYA
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JAINAM JAYATI SHASHNAM
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