शंखेश्वरा प्रभु पार्श्व सामे आज हैयु खोलशुं
जे कोइने कहेवायना ए वात आजे बोलशुं
संसारथी संतप्तछुं बस वात मारी मानजो
हे नाथ मारा ह्रदय ने शांति समाधि आपजो...१
संसारनां उकळाटमां आखुं जगत शोषाय छे
केवळ अमारी आंख आंसुथी सतत भींजाय छे
छो अंतरायो दूर करवा आप ईच्छा ना कशे
हे नाथ मारा ह्रदय ने शांति समाधि आपजो...२
तुं तारशे तुं पाळशे ने तुं मने संभाळशे
श्रद्धा हती संतापने छायो बनीने ठारशे
मुज नानपणनो आ भरोसो आज खोटो थाय तो
हे नाथ मारा ह्रदय ने शांति समाधि आपजो...३
जेने सदा सुख सांपडे ए राह में जोई हती
ने एमनी पीडा निहाळी आंख मारी रोई'ती
एस्वार्थघेला सौजनो ज्यारे पराया थाय छे
हे नाथ मारा ह्रदय ने शांति समाधि आपजो...४
कोई करे अपराध मारो ए करमनो खेल छे
हुं वेर बांधु तो भवोभव छूटवुं मुश्केल छे
प्रतिशोधनी आ आगने स्वामी तमे बुझावजो
हे नाथ मारा ह्रदय ने शांति समाधि आपजो...५
जेने सदा मारा गण्या एना थकी दर्दो मळ्या
निंदा अने आरोप पण तेना ज मुखथी सांभळ्या
शंका करे आखो जमानो आप एना मानशो
हे नाथ मारा ह्रदय ने शांति समाधि आपजो...६
मने अंगपीडा ना सतावे मानसी पीडा घणी
बेचेन छुं बस एक वात दोषनी चिंता घणी
व्याधि-उपाधि चालशे पण पाप मारा टाळजो
हे नाथ मारा ह्रदय ने शांति समाधि आपजो...७
मुज पुण्यनां “उदये” मळ्यो संगाथ कायम राखजो
ने आखरी पळमां प्रभु तारी समीपे राखजो
हुं आंख मींचु अंतकाळे ए समय संभाळजो
हे नाथ मारा ह्रदय ने शांति समाधि आपजो...८
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